Saturday, September 25, 2010

Yeh Mera Mann

ना  जाने  क्या  सोचता  है ,
और  ना  जाने  क्यूँ  सोचता  है ,

कहता  है
रास्ते  तो  तू  ढूंढ  ही  लेगा ,
मैंने  कहा
अब  तो  मंजिल  क्या  है ,
यह  भी  नहीं  मालूम .
रास्ते  कहाँ  से  लाऊं ?

फिर  कहता  है
तोड़  दो  उन्  दीवारों  को
आजादी  तो  बस  तुम्हारी  ही  है .
तो  मैंने  पूछा ,
जो  दीवारें  तुमने  बना  रखी  हैं
उनका  क्या  करूँ  ?

ना  जाने  यह  क्या  चाहता  है
और  ना  जाने  क्यूँ  चाहता  है ,

देखता  है  खुशियों  को
पर  खुद  खुश  नहीं  रहता ,
चाहता  है  आसमान  को छूना
लेकिन  ऊँचाइयों  से  डरता  है ,

डूबा  रहता  है  ख्यालों  में
किन्तु  जीना  चाहता  है  यथार्थ  में ,

और  यूँ  तो  यह  मेरा  ही  है
पर  मेरी  सुनता  कब  है  ?

यह  मेरा  मन
ना  जाने  क्या - क्या  सोचता  है .


Main Chahta Hoon

उन्  तितलियों  की भांति ,
कभी  पत्तों  की सीढियां ,
तो  कभी  फूलों  पर
उछलना  मचलना
मैं  चाहता  हूँ .

वो  तारों  की  बातें
वो  गुड़ियों  का  खेल
और  उस  पतंग  के  साथ ,
आसमान  को  छूने  की  तमन्ना
अपने  बचपन  को  फिर  जीना 
मैं  चाहता  हूँ.

उस  पहाड़  के  ऊपर
हाँ  उस  सबसे  ऊँची  चोटी  पर
अपनी  बाहें  फैलाये
कुछ  जोर - जोर  से  चिल्लाना 
मैं  चाहता  हूँ.

तुम्हारा  विश्वास 
जो  तुम्हें  मुझमें  है  माँ ,
आशाएं  करती  हो  जो  मुझसे ,
उन्  विश्वासों  की  कल्पनाओं
को  हकीकत  में  उतरना
मैं  चाहता  हूँ .

जो  हैं  हमसे  कुछ  अलग
थोड़े  लाचार ,
थोड़े  से  ना - खुशकिस्मत
पर  ख्वाबों  से  लबालब
उनके  सपनो  को  पूरा  कर  जाना
मैं  चाहता  हूँ .

थाम  हाथ  लहरें  कहा  ले  चलेंगी
खड़ा  किनारे  सोच  रहा  हूँ
डरता  हूँ ,
पर  कूदने  की  जिद्द  भी  है .
उस  गहराई  में  समा  कर ,
एक  दिन  मोतियाँ  चुरा  लाना
मैं  चाहता  हूँ .




Friday, September 24, 2010

The First Poem

सोचकर  निकले  थे,
दुनिया  बदल  देंगें.
लहरें  आएँगी  तो  क्या,
हम  समंदर  में  नहाना  छोड़  देंगें.

लेकिन
यह  दुनिया , आज  भी  वही  है .
बदल  दिया  है  उसने ,  मुझे

वो  थी  एक  मुस्कान ,
पर  अब  याद  नहीं .
अब  तो  एक  से  लगते  हैं
सभी  चेहरे ,
मिटटी  के  पुतले  से .

पर  धीरे - धीरे ,
जैसे  - तैसे
सीख  लिया  है  मैंने  भी .
वो  नकली  चेहरे
वोह  चौड़ी - सी  मुस्कान

और  फिर
तुमने  भी  तो  साथ  छोड़ा  ना ,
तुम  अगर  गए  न  होते
तो  शायद ,
हम  बदले न  होते .

हाँ  इतना  जरूर  मालूम  है
निकला  तो  मैं  ही  था ,
मगर  इस  बात  से  अनजान
कि  जिसे  मैं  बदलने  चला  था ,
वो  तो  वहीँ ,
पीछे छुट  रहा  था .